22 जनवरी को 'रामलला' अयोध्या नगरी में विराजमान होने जा रहे हैं। सरकार अयोध्या को देश का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन का केंद्र बनाना चाहती है। अयोध्या को भव्य बनाने में वर्तमान सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। यही कारण है कि सरकार के साथ-साथ पूरा देश भी इस पल का गवाह बनना चाहता है। अलग-अलग राज्यों से लोग 22 जनवरी के लिए जुटना भी शुरू हो गए हैं। पूरा भारत देश इस दिन को ऐतिहासिक बनाने के साथ-साथ इस दिन को त्यौहार के रूप में भी मनाने जा रहा है। देश भर में भाजपा कार्यकर्ताओं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद द्वारा अक्षत कलश यात्राएं निकाली जा रही हैं। पूरे देश के साधु संतों को इस भव्य आयोजन में शामिल होने के लिए निमंत्रण भेजा गया है। करीब 500 साल के अनेक सांप्रदायिक संघर्षो के बाद ऐसा मुमकिन होने जा रहा है। हिन्दुओं के प्रमुख आराध्य श्रीराम के जन्म-स्थल पर एक बार फिर से भव्य मंदिर देश-दुनिया को आकर्षित करेगा। उत्तर प्रदेश सरकार के अनुसार पिछले वर्ष 2.39 करोड़ लोग यानी करीब 70 हजार लोग प्रतिदिन इस अयोध्या नगरी में दर्शन करने आए। जो एक वर्ष पहले के मुकाबले करीब 100 गुना था। अभी तो ये शुरुआत है आगे भी येसी उम्मीदें लगाई जा रही हैं कि आने वाले समय में अयोध्या आने वाले लोगों की संख्या में कई गुना की वृद्धि हो सकती है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में अयोध्या देश का सबसे बड़ा धार्मिक पर्यटन केंद्र होगा। जिसमें करीब दस करोड़ पर्यटक प्रति वर्ष के हिसाब से यहां आएंगे। एक पर्यटक औसतन 2700 रुपए खर्च करता है। यानी इस नगरी को ही नहीं बल्कि प्रदेश को भी आर्थिक गति मिलेगी। इसके साथ ही यहां अनेकों रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे। खासतौर पर स्थानीय लोगों को काम करने के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा। यहां विश्वस्तरीय अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और आधुनिक रेलवे स्टेशन, उच्च वर्ग के पर्यटकों को भी आकर्षित करेंगे। हाल ही में खासकर मोदी- शासन में वाराणसी, उज्जैन और केदारनाथ के मंदिरों के आसपास आधुनिक सुविधाएं और सौन्दर्यीकरण से धार्मिक पर्यटन में भारी वृद्धि हुई। भारत में पर्यटन का जीडीपी में योगदान 5-6% का है इसका आने वाले वर्षों में और बढ़ने का अनुमान है।अभी तक धार्मिक पर्यटन का अंश पूरी पर्यटन जीडीपी में लगभग आधा रहता था। अयोध्या को सड़क, वायु और रेल मार्ग से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दुनिया से जोड़ने में हजारों करोड़ का खर्च एक सार्थक और उत्पादक निवेश माना जा सकता है। सरकार का प्रयास एक सकारात्मक दिशा में जाता तो समझ में आता है लेकिन अब ये भी देखने की बात होगी। क्या अयोध्या इतनी अधिक पर्यटकों या दर्शकों की संख्या को बर्दास्त करने के लिए तैयार है?
कपिल शुक्ला
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